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मार्च, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हस्त-मुद्रा चिकित्सा

                                              भारतीय धर्म-साधना मे मुद्राओं का अनन्य साधारण महत्व है. विश्व मे भारतीय योग-साधना श्रेष्टतम साधना है और इस योग-साधना का एक मुख्य अंग 'मुद्रा' है, स्वास्थ्य एवं रोगोपचार की दृष्टी से लाभप्रद और आजकल अधिक उपयोग हो रहा है. जैसे जैसे हम योग अभ्यास करते जाते और इन से लाभ भी प्राप्त करते है. हमे इसका शरीर, मन और चेतना पर सुक्ष्म प्रभाव भी अनुभव होने लगता है . योग अभ्यासकों मे मुद्रा विज्ञान अत्यंत महत्वपुर्ण है, मुद्रा विज्ञान मे 'हस्त-योगा' या 'हस्त-मुद्रा' . कुच्छ विशेषज्ञ कहते है मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लि विभीन्न योगासन और प्राणायाम के साथ हस्त-मुद्राओं का अभ्यास  करने से शारीरिक , मानसिक और बौध्दिक लाभ होता है .                

अपान मुद्रा ( Apana mudra )

अपान मुद्रा            पद़मासन , सुखासन या किसी भी आसन मे बैठकर अपान मुद्रा को किया जा सकता है . दोनों हाथों को घुटनोंपर रखकर हथेलिया उपर की तरफ रख रीढ की हड्डी सीधी रखे . मध्यमा तथा अनामिका अंगुलीयों के अग्रभाग को अंगुठे के अग्रभाग से लगाकर शेष अंगुलीया सीधी रखे .                  🔲 समय / अवधि 🔲 अपान मुद्रा को प्रतिदिन प्रातः दोपहर एवं सायंकाल 16 - 16 मिनट करना सर्वोत्तम है .                        🔷 लाभ 🔷    🔸अपान मुद्रा के नियमित अभ्यास से रक्त मे शर्करा का स्तर संतुलित होता है यह मुद्रा मधुमेह रोगी के लिए अत्याधिक लाभकारी है .    🔸इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर एवं नाडी की शुध्दि तथा कब्ज दूर होता है .    🔸मल दोष दूर कर बवासीर के लिए लाभप्रद है और बवासीर समुल नष्ट हो सकता है . 🔸इस मुद्रा के अभ्यास के समय पसीना अधिक स्त्रावित होने से शरीर के अनावश्यक तत्व बाहर निकलते है .इससे शरीर शुद्ध एवं...

लिंग मुद्रा ( Linga mudra )

                           लिंग मुद्रा Linga mudra                    पद़मासन , सुखासन या कीसी भी आसन मे बैठकर दोनो हाथों के अंगुलीयों को आपस मे फंसाकर अंगुलीया बंधी हूई रखकर बाये हांथ के अंगुठे को खडा रखें और दायें हाथ के अंगुठे से बाये हाथ के अंगुठे को घेरा बना दें .                       🔲 समय / अवधि 🔲 लिंग मुद्रा प्रातः या सायंकाल 16 -16 मिनट करना चाहिऐ .                      🔹🔵 लाभ 🔵🔹 🔹लिंग मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर मे गर्मी बढती है . 🔹इस मुद्रा से सर्दी-जुकाम , खांसी , दमा या सायनस मे लाभप्रद है .     🔹लकवा एवं निम्न रक्तचाप मे भी लाभकारी है .  🔹पुरुषों के समस्त यौन रोग मे लाभप्रद है एवं स्त्रियों के मासिक स्त्राव संम्बधित अनियमितता ठीक होती है .    🔹इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से म...

प्राण मुद्रा ( prana mudra )

प्राण मुद्रा Prana mudra                        सिध्दासन , पद़मासन या सुखासन मे बैठकर अपने दोनों हाथों को घुटनोपर रखले और हथेलिया उपर की तरफ रखें . जितना हो सके उतनी रीढ की हड्डी को सिधा रखकर कनिष्ठा तथा अनामिका अंगुलीयों के अग्रभाग को अंगुठे के अग्रभाग को स्पर्श करें .                      🔹 समय / अवधि 🔹         प्राण मुद्रा आसन को प्रातः 48 मिनट तक किया जा सकता है . यदी संभव ना हो तो प्रातः , दोपहर एवं सायंकाल को 16 - 16 मिनट तक प्रतिदिन कर सकते है .                        🔷  लाभ 🔷    🔵प्राण मुद्रा शारीरिक थकान जल्द दुर कर मन को शांत कराती है .    🔵प्राण मुद्रा के नियमित अभ्यास से प्राण शक्ती बढकर  व्यक्ती तेजस्वी बनाता है .    🔵इस मुद्रा से नेत्रज्योती बढकर आखों के दोष दूर करती है .    🔵हृद्य रोग के लिए भी लाभप...

सुर्य मुद्रा (surya mudra )

            सुर्य मुद्रा  Surya mudra  सिध्दासन , पद्मासन एवं सुखासन मे बैठकर अनामिका ( तिसरी ) अंगुली को अंगुठे की तरफ मोडकर अंगुठे से हलका सा दबाये दोनो हाथों को घुटनो पर रखकर हथेलिया उपर की तरफ रखे .शेष अंगुलीया एकदम सीधी रखकर रिढ की हड्डी सीधी रखें . ✦❈ समय - अवधि ❈✦ सुर्य मुद्रा करने का सबसे बेहतर प्रातः सुर्योदय के समय स्नान आदी से निवृत्त हो कर इस मुद्रा को करना अधिक लाभदायक होता है . अगर प्रातः संभव ना हो तो सायंकाल सुर्यास्त के पूर्व कर सकते है . इस मुद्रा को आप 8 मिनट से प्रारंभ कर 24 मिनट तक किया जा सकता है . ❈ मुद्रा से लाभ ❈ * सुर्य मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से मोटापा दुर होता है . * इस मुद्रा से शरीर संतुलित होकर वजन भी घटता जाता है . * सुर्य मुद्रा के अभ्यास से खून का कोलेस्ट्राल कम होता है . * इस मुद्रा से पेट के रोग नष्ट  होते है . * सुर्य मुद्रा से शरीर मे तुरंत उर्जा उत्पन्न होती है एवं मानसिक तनाव मे कमी आकर शक्ती का विकास होता है . * इस से प्रसव उपरांत का मोटापा नष्ट हो कर शरीर पहले जैसा बन ...

शुन्य मुद्रा (Shunya mudra)

                         शुन्य मुद्रा                        Shunya mudra               किसी भी आसन मे बैठकर रीढ की हड्डी एकदम सिधी रखते हुए मध्यमा ( बीच की अंगुली ) को मोडकर अंगुठे के मुल की तरफ लगाकर अंगुठे से उपरी भाग को हलके से दबाते हूए बाकी शेष अंगुलीयों को सीधा रखे इस प्रकार शुन्य मुद्रा बनती है .             🔸मुद्रा करने का समय / अवधि🔸          शुन्य मुद्रा को 45 मिनट तक करणा चाहिए अगर एक बार मे करणा संभव ना हो तो आप प्रतिदिन प्रातः दोपहर और सायंकाल को 15 - 15 मिनट कर सकते है .               🔹 - शुन्य मुद्रा के लाभ -🔹         * कान मे दर्द होने पर शुन्य मुद्रा को आप 5 मिनट तक करने से दर्द मे चमत्कारिक प्रभाव दिखता है .     * शुन्य मुद्रा को करने से कान के सब प्रकार के रोग ...

वायू मुद्रा

                         वायु मुद्रा                    वज्रासन , सुखासन मे बैठ जाऐ रीढ की हड्डी सीधी रखकर दोनों हाथ घुटनोपर रखे . हथेलिया उपर आकाश की ओर रखे . तर्जनी ( पहली ) अंगुली को मोडकर अंगुठे के मूल मे लगाकर हलका दबायें , शेष अंगुलीया सीधी रखें . * वायू मुद्रा करने का समय / अवधि * वायू मुद्रा को पद़मासन ,सुखासन  या कीसीभी आसन मे कीया जा सकता है , प्रातः एवं सायंकाल को 8 - 8 मिनिट के लिए किया  जा सकता है . * वायू मुद्रा करने का लाभ * * वायू मुद्रा के अभ्यास से वायू का संचारण नियंत्रित होता है . * नियमित  अभ्यास से लकवा , साइटिका , गठिया , संधिवात तथा घुटने का दर्द ठिक होता है . * इस आसन के अभ्यास से गर्दन के दर्द , रीढ के दर्द तथा पार्कींसन रोग मे फायदा  होता है . * वायू मुद्रा को करने से दस्त , कब्ज , एसिडिटी एवं पेट संबंधी अन्य विकार समाप्त होते है .      * वायू मुद्रा से शरीर का दर्द तुरंत ब...

वरुण मुद्रा

                        वरुण मुद्रा                                        पद़मासन एवं सुखासन मे बैठकर दोनों हाथ घुटनों पर रखकर रीढ हड्डी सीधी रखें कनिष्ठा ( सबसे छोटी अंगुली ) के उपरवाले भाग को अंगुठे के उपरी भाग पर स्पर्श करते हूए हलकासा दबाऐं बाकी शेष तिनों अंगुलीया को सिधा रखे . 🔸मुद्रा करणे का समय / अवधि 🔸 गर्मी या अन्य मौसम मे आप इस मुद्रा को प्रातः एवं सायंकाल को 24 - 24 मिनिट कर सकते पर सर्दी के मौसम मे वरुण मुद्रा का अभ्यास  जादा समय नही करणा चाहिए . जिन व्यक्ती की कफ प्रकृती है एवं हमेशा सर्दी-जुकाम बना रहता है उन्हे इस मुद्रा का अभ्यास जादा समय नही करना चाहीऐ . 🔹वरुण  मुद्रा के लाभ🔹 1) वरुण मुद्रा से शरीर का रुखापन नष्ट हो कर चिकनाई बढती है . 2) शरीर की चमडी ( skin ) चमकीली तथा मुलायम बनाती है . 3) वरुण मुद्रा शरीर मे जलतत्व संतुलित कर जल की कमी से होने वाले समस्त रोगों को न...

पृथ्वी मुद्रा

                         पृथ्वी मुद्रा   भारतीय धर्म साधना मे योग-साधना श्रेष्टतम साधना है इसी योग-साधना का 'मुद्रा' एक मुख्य अंग है जिसमे विभीन्न योगासन और प्राणायाम के साथ हस्त-मुद्राओं का अभ्यास करणे से शारीरिक , मानसिक और बौध्दिक लाभ होता और स्वास्थ्य एवं रोगोपचार की द्रुष्टी से लाभप्रद है.             पृथ्वी मुद्रा को पद़मासन या सुखासन मे बैठ कर कीया जा सकता है . जादा लाभ के लीए वज्रासन मे बैठ कर करे . दोनो हांथो को घुटनों पर रखें , हथेलिया ऊपर की तरफ रखकर एकदम सीधा बैठे. अनामिका अंगुली को अंगुठे से लगाकर हाथ की शेष अंगुलीया बिल्कूल सीधी रहे. ⭐मुद्रा करने का समय / अवाधी⭐ पृथ्वी मुद्रा को प्रातः या सायंकाल को करणा चाहीए आप 24 - 24 मिनट यथासंभव कर सकते है. 🔯- पृथ्वी मुद्रा के लाभ -🔯 1) पृथ्वी मुद्रा करणे से दुर्बल व्यक्ती मोटा बन सकता  है वजन बढता है. 2) जीवन शक्ती का विकास हो कर यह मुद्रा पाचन-क्रिया ठीक करती है , भोजन के बाद 5 मिनट वज्रास...

ज्ञान मुद्रा

                                                               ज्ञान मुद्रा     पद़मासन या सुखासन मे बैठ अपनी तर्जनी को अंगुठे के अग्रभाग को हल्केसे स्पर्श करे और शेष तिनों उंगलियों को जितना हो सके सीधा रखे. अंगुठा और तर्जनी के बीच छल्ले जैसा आकार बनाऐं , हाथों को दोनो घुटनों पर रखकर हथेलियों को आकाश की और रखे .           🔲मुद्रा करने का समय / अवधिः🔲       * इस मुद्रा को आप प्रतिदिन प्रातः एवं सायंकाल को किया जा सकता है.       * प्रतिदिन 60 मिनिट या अपनी सुविधा नुसार अवधि को कम या जादा कर सकते है.       * यदी एक बार मे 60 मिनिट करणा संभव ना हो तो आप 30-30 मिनट प्रातः या सायंकाल को कर सकते है.                   🔲ज्ञान मुद्रां के लाभ🔲                ...

शिव लिंग हस्त-मुद्रा

भारतीय धर्म साधना मे योग-साधना श्रेष्टतम साधना है इसी योग-साधना का 'मुद्रा' एक मुख्य अंग है जिसमे विभीन्न योगासन और प्राणायाम के साथ हस्त-मुद्राओं का अभ्यास करणे से शारीरिक , मानसिक और बौध्दिक लाभ होता और स्वास्थ्य एवं रोगोपचार की द्रुष्टी से लाभप्रद है.                               शिव लिंग हस्त-मुद्रा       1) पदमासन,वज्रासन या सुखासन मे बैठकर यह आसन किया जा सकता है.   2) दाए हात का मुक्का बनाकर बाए हात को छाती से निचे सामने रखकर उस पर दांए हाथ का मुक्का रखें.   3) अंगुठा एकदम ऊपर तना हुआ होना चाहिए बाए हाथ की अंगुलीया एक दुसरे से जुडी होनी चाहिए .  4) अपने हाथों को पेट के साथ सिधा रखकर इस मुद्रा का अभ्यास करें . 🔸मुद्रा करणे का समय / अवधिः🔸 दीन मे 2 बार 5-7 मिनट के लिए इस मुद्रा का अभ्यास करना फायदेमंद होगा , इस मुद्रा को आप अपनी इच्छा नुसार कितनी भी देर कर सकते है.   🔸लाभ🔸 1) किसी भी प्रकार के मानसिक तनाव और दबाव की स्थिती मे यह मुद्रा आपक...