प्राण मुद्रा Prana mudra
सिध्दासन , पद़मासन या सुखासन मे बैठकर अपने दोनों हाथों को घुटनोपर रखले और हथेलिया उपर की तरफ रखें . जितना हो सके उतनी रीढ की हड्डी को सिधा रखकर कनिष्ठा तथा अनामिका अंगुलीयों के अग्रभाग को अंगुठे के अग्रभाग को स्पर्श करें .
🔹 समय / अवधि 🔹
प्राण मुद्रा आसन को प्रातः 48 मिनट तक किया जा सकता है . यदी संभव ना हो तो प्रातः , दोपहर एवं सायंकाल को 16 - 16 मिनट तक प्रतिदिन कर सकते है .🔷 लाभ 🔷
🔵प्राण मुद्रा के नियमित अभ्यास से प्राण शक्ती बढकर व्यक्ती तेजस्वी बनाता है .
🔵इस मुद्रा से नेत्रज्योती बढकर आखों के दोष दूर करती है .
🔵हृद्य रोग के लिए भी लाभप्रद है .
🔵इस मुद्रा से शरीर मे आइ कमजोरी दुर कर व्यक्ती को शक्तिशाली बनाती है .
🔵 यह मुद्रा एकाग्रता बढाकर मन की बेचैनी और कठोरता कम करती है .
🔵 चेहरा , आंखों एवं शरीर को चमकदार बनाती है .
🔵ज्ञान मुद्रा 👉 ज्ञान मुद्रा 👈 के साथ प्राण मुद्रा करने से अनिद्रा का दोष दूर होता है .
🔵प्राण मुद्रा के नियमित अभ्यास से संपुर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है .
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