भारतीय धर्म साधना मे योग-साधना श्रेष्टतम साधना है इसी योग-साधना का 'मुद्रा' एक मुख्य अंग है जिसमे विभीन्न योगासन और प्राणायाम के साथ हस्त-मुद्राओं का अभ्यास करणे से शारीरिक , मानसिक और बौध्दिक लाभ होता और स्वास्थ्य एवं रोगोपचार की द्रुष्टी से लाभप्रद है.
शिव लिंग हस्त-मुद्रा
1) पदमासन,वज्रासन या सुखासन मे बैठकर यह आसन किया जा सकता है.
2) दाए हात का मुक्का बनाकर बाए हात को छाती से निचे सामने रखकर उस पर दांए हाथ का मुक्का रखें.
3) अंगुठा एकदम ऊपर तना हुआ होना चाहिए बाए हाथ की अंगुलीया एक दुसरे से जुडी होनी चाहिए .
4) अपने हाथों को पेट के साथ सिधा रखकर इस मुद्रा का अभ्यास करें .
🔸मुद्रा करणे का समय / अवधिः🔸
दीन मे 2 बार 5-7 मिनट के लिए इस मुद्रा का अभ्यास करना फायदेमंद होगा , इस मुद्रा को आप अपनी इच्छा नुसार कितनी भी देर कर सकते है.
🔸लाभ🔸
1) किसी भी प्रकार के मानसिक तनाव और दबाव की स्थिती मे यह मुद्रा आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है.
2) यह मुद्रा उर्जा संवर्धक होने के कारण थकान,असंतुष्टी या सुस्ती होने पर इस मुद्रा के अभ्यास व्दारा आप स्वंयं को उर्जावान महसुस कर सकते है.
3) ठंण्ड के दिनों मे इस मुद्रा के अभ्यास से आप अपने शरीर मे उर्जा (Heat) उत्पन्न कर सकते है.
4) आप इस शिवलींग मुद्रा का अभ्यास करने से आपका वजन कम कर सकते है.
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