अपान मुद्रा
पद़मासन , सुखासन या किसी भी आसन मे बैठकर अपान मुद्रा को किया जा सकता है . दोनों हाथों को घुटनोंपर रखकर हथेलिया उपर की तरफ रख रीढ की हड्डी सीधी रखे . मध्यमा तथा अनामिका अंगुलीयों के अग्रभाग को अंगुठे के अग्रभाग से लगाकर शेष अंगुलीया सीधी रखे .
🔲 समय / अवधि 🔲
अपान मुद्रा को प्रतिदिन प्रातः दोपहर एवं सायंकाल 16 - 16 मिनट करना सर्वोत्तम है .🔷 लाभ 🔷
🔸अपान मुद्रा के नियमित अभ्यास से रक्त मे शर्करा का स्तर संतुलित होता है यह मुद्रा मधुमेह रोगी के लिए अत्याधिक लाभकारी है .
🔸इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर एवं नाडी की शुध्दि तथा कब्ज दूर होता है .
🔸मल दोष दूर कर बवासीर के लिए लाभप्रद है और बवासीर समुल नष्ट हो सकता है .
🔸इस मुद्रा के अभ्यास के समय पसीना अधिक स्त्रावित होने से शरीर के अनावश्यक तत्व बाहर निकलते है .इससे शरीर शुद्ध एवं निरोगी हो जाता है .
🔸यह मुद्रा करने से कब्ज , वायू - विकार , गुर्दों के दोष तथा पेट संम्बंधित समस्त रोग नष्ट हो जाते है .
🔸अपान मुद्रा से दातों के दोष दूर होते है .
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