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वायू मुद्रा

                         वायु मुद्रा

 

                 वज्रासन , सुखासन मे बैठ जाऐ रीढ की हड्डी सीधी रखकर दोनों हाथ घुटनोपर रखे . हथेलिया उपर आकाश की ओर रखे . तर्जनी ( पहली ) अंगुली को मोडकर अंगुठे के मूल मे लगाकर हलका दबायें , शेष अंगुलीया सीधी रखें .

* वायू मुद्रा करने का समय / अवधि *


वायू मुद्रा को पद़मासन ,सुखासन  या कीसीभी आसन मे कीया जा सकता है , प्रातः एवं सायंकाल को 8 - 8 मिनिट के लिए किया  जा सकता है .

* वायू मुद्रा करने का लाभ *


* वायू मुद्रा के अभ्यास से वायू का संचारण नियंत्रित होता है .
* नियमित  अभ्यास से लकवा , साइटिका , गठिया , संधिवात तथा घुटने का दर्द ठिक होता है .
* इस आसन के अभ्यास से गर्दन के दर्द , रीढ के दर्द तथा पार्कींसन रोग मे फायदा  होता है .
* वायू मुद्रा को करने से दस्त , कब्ज , एसिडिटी एवं पेट संबंधी अन्य विकार समाप्त होते है .
     * वायू मुद्रा से शरीर का दर्द तुरंत बंद हो जाता है .
 * अपच या गैस होने पर भोजन के तुरंत बाद वज्रासन मे बैठकर 5 मिनट तक वायू मुद्रा करने से यह रोग नष्ट हो सकते है .

🔴 सावधानी :- लाभ हो जाने तक ही करें अन्यथा हानी हो सकती है .

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