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पृथ्वी मुद्रा

                         पृथ्वी मुद्रा


 
भारतीय धर्म साधना मे योग-साधना श्रेष्टतम
साधना है इसी योग-साधना का 'मुद्रा' एक मुख्य अंग है जिसमे विभीन्न योगासन और प्राणायाम के साथ हस्त-मुद्राओं का अभ्यास करणे से शारीरिक , मानसिक और बौध्दिक लाभ होता और स्वास्थ्य एवं रोगोपचार की द्रुष्टी से लाभप्रद है.
       
   
पृथ्वी मुद्रा को पद़मासन या सुखासन मे बैठ कर कीया जा सकता है . जादा लाभ के लीए वज्रासन मे बैठ कर करे .
दोनो हांथो को घुटनों पर रखें , हथेलिया ऊपर की तरफ रखकर एकदम सीधा बैठे.
अनामिका अंगुली को अंगुठे से लगाकर हाथ की शेष अंगुलीया बिल्कूल सीधी रहे.

⭐मुद्रा करने का समय / अवाधी⭐

पृथ्वी मुद्रा को प्रातः या सायंकाल को करणा चाहीए आप 24 - 24 मिनट यथासंभव कर सकते है.

🔯- पृथ्वी मुद्रा के लाभ -🔯


1) पृथ्वी मुद्रा करणे से दुर्बल व्यक्ती मोटा बन सकता  है वजन बढता है.
2) जीवन शक्ती का विकास हो कर यह मुद्रा पाचन-क्रिया ठीक करती है , भोजन के बाद 5 मिनट वज्रासन मे बैठकर पृथ्वी करणे से अत्याधीक लाभ होता है .
3) पृथ्वी मुद्रा सात्विक गुणों का विकास करती है , दिमाग मे शांती लाती है .
4) इस मुद्रा से शरीर ताकतवर होता है और मजबूत बनता है .
5) पृथ्वी मुद्रा के नियमित अभ्यास से महिओं मे खूबसूरती बढती है चेहरा हो जाता है एवं  पुरे शरीर मे चमक पैदा हो जाती है .
6) पृथ्वी मुद्रा करणे से गले संबंधी रोगों मे बहुत लाभ होता है और गला सुरीला हो जाता है . 

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