वरुण मुद्रा

पद़मासन एवं सुखासन मे बैठकर दोनों हाथ घुटनों पर रखकर रीढ हड्डी सीधी रखें कनिष्ठा ( सबसे छोटी अंगुली ) के उपरवाले भाग को अंगुठे के उपरी भाग पर स्पर्श करते हूए हलकासा दबाऐं बाकी शेष तिनों अंगुलीया को सिधा रखे .
🔸मुद्रा करणे का समय / अवधि 🔸
गर्मी या अन्य मौसम मे आप इस मुद्रा को प्रातः एवं सायंकाल को 24 - 24 मिनिट कर सकते पर सर्दी के मौसम मे वरुण मुद्रा का अभ्यास जादा समय नही करणा चाहिए .
जिन व्यक्ती की कफ प्रकृती है एवं हमेशा सर्दी-जुकाम बना रहता है उन्हे इस मुद्रा का अभ्यास जादा समय नही करना चाहीऐ .
🔹वरुण मुद्रा के लाभ🔹
1) वरुण मुद्रा से शरीर का रुखापन नष्ट हो कर चिकनाई बढती है .
2) शरीर की चमडी ( skin ) चमकीली तथा मुलायम बनाती है .
3) वरुण मुद्रा शरीर मे जलतत्व संतुलित कर जल की कमी से होने वाले समस्त रोगों को नष्ट करती है .
4) वरुण मुद्रा से शरीर लचीला हो कर यौवन को बनाऐ रखने मे भी लाभप्रद है .
5) चर्मरोग , रक्त विकारों को दुर करती है .
6) इस मुद्रा को करने से अत्याधिक प्यास शांत होती है .
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