अपान वायु मुद्रा पद़मासन , सिध्दासन , सुखासन या किसी भी ध्यानात्मक आसन मे बैठकर इस आसन को किया जा सकता है. दोनों हाथों को घुटनोंपर रखकर तर्जनी अंगुली को अंगुठे के जड मे लगाए तथा मध्यमा और अनामिका अंगुलीयों को अंगुठे के अग्रभागवाले हिस्से से लगाए , शेष सबसे छोटी अंगुली ( कनिष्ठा ) एकदम सीधी रखें . 🔸समय / अवधी🔸 अपानवायु मुद्रा करने का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल 48 मिनट करें , यदी प्रातः संभव ना हो तो आप प्रातः , दोपहर तथा सायंकाल 16 - 16 मिनीट तीन बार करें दिन मे कुल 48 मिनीट कर सकते है . 🔸 लाभ🔸 🔹 अपानवायु मुद्रा हृद्य रोग के लिए अत्यंत लाभप्रद है इस मुद्रा को हृद्य मुद्रा भी कहते है . 🔹 दिल का दौरा पडते ही यह मुद्रा कराने पर आराम होता है और दिल का दौरा पडने का खतरा ...
भारतीय धर्म-साधना मे मुद्राओं का अनन्य साधारण महत्व है. विश्व मे भारतीय योग-साधना श्रेष्टतम साधना है और इस योग-साधना का एक मुख्य अंग 'मुद्रा' है, स्वास्थ्य एवं रोगोपचार की दृष्टी से लाभप्रद और आजकल अधिक उपयोग हो रहा है. जैसे जैसे हम योग अभ्यास करते जाते और इन से लाभ भी प्राप्त करते है. हमे इसका शरीर, मन और चेतना पर सुक्ष्म प्रभाव भी अनुभव होने लगता है . योग अभ्यासकों मे मुद्रा विज्ञान अत्यंत महत्वपुर्ण है, मुद्रा विज्ञान मे 'हस्त-योगा' या 'हस्त-मुद्रा' . कुच्छ विशेषज्ञ कहते है मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लि विभीन्न योगासन और प्राणायाम के साथ हस्त-मुद्राओं का अभ्यास करने से शारीरिक , मानसिक और बौध्दिक लाभ होता है .